कविता : मेरे साथ
जब योवन पर आती
नदियाँ
मछलियाँ तब नदी के प्रवाह के
विपरीत प्रवाह पर तेरती
छोटी -छोटी धाराओं पर
चढ़ जाती सीधे
*
नदियाँ मिलना चाहती
समुद्र से
मछलियाँ देखना चाहती
नदियों का उद्गम
*
सागर से मिलती जब नदियाँ
लाती साथ में कूड़ा करकट
सागर को बताने
ऐसे हो जाती है दूषित
प्रदूषण फेलाने वालों इंसानों से
*
जल को स्वच्छ बनाने के लिए
बहकर /कहकर जाती नदियाँ
मछलियों से
बस तुम ही तो हो
मुझे स्वच्छ बनाने वाली और
तुम्हारे सहारे ही
में रहूंगी भी कुछ समय जीवित
*
तब तक
जब तक तुम रहोगी मेरे जल में
मेरे साथ
*
— संजय वर्मा “दृष्टि”