“कुंडलिया छंद”
फुरसत में जीवन नहीं, जीवन बहुत महान
माया ममता मन धरी, जानत सकल जहान
जानत सकल जहान, जन्म यह कर्म भोग है
मन में कर संकल्प, नत जीवन संयोग है
महिमा माँ की मान, जग होय रही बरसात
करहु पाठ नव रात, लेहु नवदिन महि फुरसत ||
महातम मिश्र
फुरसत में जीवन नहीं, जीवन बहुत महान
माया ममता मन धरी, जानत सकल जहान
जानत सकल जहान, जन्म यह कर्म भोग है
मन में कर संकल्प, नत जीवन संयोग है
महिमा माँ की मान, जग होय रही बरसात
करहु पाठ नव रात, लेहु नवदिन महि फुरसत ||
महातम मिश्र