~~हथियार~~
क्या नारी ने
सारी शक्तियां
समाहित कर ली है
खुद में ही !!
या इस्तेमाल हो रही है
हथियार की तरह
या हथियार बन
उठ खड़ीं हो गयी है
खुद ही संघार
करने के लिए
पापियों का
क्या अच्छे लोग भी
फंस रहे है इस
मकड़जाल में
खूब की हमने भी
माथा पच्ची पर
भगवान् ना थे हम
कि सुन-समझ-देख पाए
आखिर माजरा क्या है
समझ पाए कि कौन
इस्तेमाल हो रहा है
कौन किया जा रहा है
और कौन खुद ही
अनजाने में ही सही
इस्तेमाल हो चुका है
साक्षात् भगवान् भी
आ जाये आज तो
ना समझा पाए हमें
कारक कर्म और कर्ता
के बीच की कड़ी
असमंजस में हैं हम
किसे कहें सही
मरने वालों को या
जिन्दा रह
सारे आरोपो को
झेलने वालो को
इस असमंजस से
ये नारी तू ही है बस
जो उबार सकती है हमें
पर अफ़सोस तू
खामोश है|.
सविता मिश्रा