गीतिका/ग़ज़ल

गजल

 

बेखुदी में करार होता है
प्यार जब बेसुमार होता है ।

रूठता है अगर सनम मेरा
दर्द बेइख़्तियार होता है ।

साथ देता अगर मुसीबत में
जिंदगी भर का यार होता है ।

काम करती नही दवा कोई
प्रेम का जब बुखार होता है ।

पेट की भूख सब कराती है ।
देह का रोजगार होता है ।

जिंदगी का सफर बड़ा मुश्किल
हादसों का दयार होता है ।

— धर्म पाण्डेय