गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल !

वफा के मंजर यूँ बदले कि वो तस्वीर ए जाना हो गए
बेखुदी में यूँ रफ्ता रफ्ता हम खुद ही निशाना हो गए ।।

मासूम से दिल ने मेरे सजदा किया कुछ इस तरह
चाक दामन कर दिया खुद से बेगाना हो गए ।।

बेबफा ने बफा का सौदा किया कुछ इस तरह
अश्क मोती हो गए हम गम का खजाना हो गए ।।

न जाने कौन सा जादू था उसकी हर एक बात में
नशा सा चढ़ता रहा हम मौसम सुहाना हो गए ।।

पाक मुहोब्बत है बस एक उसी परवरदिगार की
रंज ओ गम सब भूल के हम तो दीवाना हो गए ।।

अंशु प्रधान