कविता

कविता : चलो एक दीप और जला लें…

हर घर में खुशियां फ़ैलाने अपने दिल से अंधकार मिटाने
चलो एक दीप और जला ले
युवाओ को सही का पाठ पढ़ाने
उन्हें अवगुणों से दूर भागने चलो एक दीप और जला ले
नशे की बेल को जड़ से हटाने
अपनों को अपनों से मिलाने
चलो एक दीप और जला ले
अपने दिल में करुणा को जगाने
भूखे को रोटी खिलवाने
चलो एक दीप और जला ले
मन से भ्रष्टाचार मिटाने
रिश्वत के रावण को जलाने चलो एक दीप और जला ले
पर्यावरण को सुरक्षित बनाने
धुंए उठते पटाखों से खुद को बचाने
चलो एक दीप और जला ले
भय,निराशा,दर्द को अपने में जलने
ख़ुशी,आशा,इंसानियत अपने दिल में बसाने
चलो एक दीप और जला ले
संकीर्ण मानसिकता के पर्दे को आँखों से हटाने
सुविचारों की किरणों को फ़ैलाने
चलो एक दीप और जला ले
दुश्मन को भी दोस्त बनाने
दोस्ती के रिश्ते को और भी मीठा बनाने
चलो एक दीप और जला ले

— प्रिया मिश्रा