प्रार्थना
दवाओं में नहीं दुआओं में ही फलती है प्रार्थना
देवता नहीं यहाँ पत्थरों में ही फलती है प्रार्थना
जमीन पर उतर आतें है जब रख मनुज का रूप
राम की भावनाओं मे शंकर की पनपती है प्रार्थना
अहिल्या बनी गौतम शाप से मूक पाषाण खण्ड
तब उसे तारने की भगवान की सजती है प्रार्थना
जब आतंकित हुए मथुरा के वासी काली देह से
तब उसे मार भगाने के लिए भी खिलती है प्रार्थना
बड़ता है पाप और अनीति का अत्याचार जमीं पे
ईश्वर के अवतार की कहानी लिखती है प्रार्थना