खुशी इतनी मिली
खुशी इतनी मिली आँचल में समेट न पाऊं
आकाश में उड़ूं या दरिया में घर बनाऊं
हार गया नशीब हुई है विश्वास की जीत
जमीं पर कदम न रुकते किस दुनिया में जाऊं
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तय कर लिया वो राह जो था बहुत मुस्किल
अब ज्यादा दूर नहीं है मुझसे मेरी मंजिल
मेहनत के आगे कुछ नहीं है नामुमकिन
हो गयी खुशी हासिल चल जश्न मना ऐ दिल
-दीपिका कुमारी दीप्ति
बहुत खूब .