कविता

दीपक एक जलाऊँ


मित्रों, प्रकाश पर्व दीपावली पर आप सभी को हार्दिक बधाई सह मंगल शुभकामना,
“मैया मै नहीं माखन खायो” जैसी तर्ज पर आधारित रचना……

दीपक एक जलाऊँ

जाऊं कहाँ मै किधर रोशनी, जाऊं प्रकाश खिलाऊं
बोल सखी कित छैयां बैठू, जीवन जग जस पाऊं
मेरे अंगना भी एक दीपक, मनदीप खिले तो जानू
अरज करू मैया कर जोरू , श्रद्धा सुमन चढाऊं ||

भरि दे मैया मेरी झोली, लाल रतन दुलराऊं
बैठूं मै सखियों की टोली, मंद मंद मुसुकाऊं
ले-ले काजल खुद नैनों से, माथे बनाऊं चंदा
कालिख कोंख लगी है, बाँझ की दाग मिटाऊं ||

दीपक एक जलाऊँ

— महातम मिश्र

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ