गीत/नवगीत

गीत – छाया अनंग जैसे

बजे जल-तरंग, सजे अंग-अंग, छाया अनंग जैसे.
मन का वो हाल, तबले की ताल, बाजे मृदंग जैसे.

सुख के हिंडोले, मनवा ये डोले, चिंतायें सारी भूले,
जीवन निसार, तुझपे है यार, मुझे एक बार छू ले.
वीणा के तार, गूंजे सितार, मन है मलंग जैसे,
बजे जल-तरंग, सजे अंग-अंग, छाया अनंग जैसे.

हर एक थाप, करती है जाप, प्रिय मेरा प्यार तुम हो,
मुरली की तान, तुम मेरे प्राण, जीवन का सार तुम हो.
डमरू के बोल, बजे झांझ-ढोल, चढती तरंग जैसे,
बजे जल-तरंग, सजे अंग-अंग, छाया अनंग जैसे.

बस तेरी प्रीत,जाऊँ मैं जीत,  मेरे मन के मीत सुन ले,
बजने दे शंख, खुलने दे पंख, आ प्रणय गीत चुन ले.
सुर गीत साज़, लगते हैं आज, बढती उमंग जैसे,
बजे जल-तरंग, सजे अंग-अंग, छाया अनंग जैसे.

अर्चना पांडा

*अर्चना पांडा

कैलिफ़ोर्निया अमेरिका