एक माटी का दिया [गीत]
स्वयं जल कर दूसरों का उजाला बन सको
एक माटी का दिया संदेश हमको दे रहा ।
जाति ,धर्म की सीमा से जो है परे
धरती ,गगन को शुचिता से है भरे।
जगत से,मन से अधेरा हर सको,
एक माटी का दिया संदेश हमको दे रहा ।
नयेपन के चलन में उसकी चमक कम हुई
बिजली के लट्टुओं में वह ज़रा सी गुम हुई।
ड़रो मत,टिके रहकर पग बढा़ते चलते रहो
एक माटी का दिया संदेश हमको दे रहा ।