गीत : सबकी ऐसी तैसी
एक हाथ में तीर एक में लालटेन विद्यमान
दोनों बेटे सेट किये पूरे दिल के अरमान
लिखे अपेक्षा पढ़े उपेक्षा सुनो बिहार के लोगो
मंत्री तुम्हरे अब तो बन गए अजब गजब विद्वान
कि सबकी ऐसी तैसी
मार कुटाई अपहरणों का फिर से होगा दौर
इसकी राग अलग होगी व उसकी हो कुछ और
फिर से जाना ठोकर खाने दुनिया भर में सारे
छोड़ छाड़ के मैया बाबा छोड़ के अपना ठौर
कि सबकी ऐसी तैसी
भाई चारा चरने वालों का ही आया शासन
गुंडे डाकू चोर मवाली से कांपे प्रशासन
जात पात से तय होगी सब कानूनी धारायें
लाज बचाना केशव अब तो आ गए हैं दु:शासन
कि सबकी ऐसी तैसी
— मनोज “मोजू”
सिहरे सब हैं ….. देखे क्या क्या होता है
हा हा ,करारा विअंघ. मुझे तो गरीब लोगों को इन हुशिआर लोगों की जीत पर डांस करते हुए देख कर हंसी आती है कि यह लोग किस बात पर जश्न मना रहे होते हैं .