नारी !
..“जहाँ नारी की पूजा होती है ..वहा देवता निवास करते हैं“.. .. ..नारी/महिला.. ..जिसमें ममता, ..करुणा, ..क्षमा, ..दया, ..कुलमर्यादा का आचरण तथा “परिवार” एवं “स्वजनों” के निमित्त बलिदान की भावना हो, ..वह नारी/महिला का आदर्श रुप है.. .. ..महिलाओं के सभी रुप निराले हैं दुनिया में जो सबसे बड़ा देवता दिखाई पड़ता है, उसका नाम “माता” है.. ..जहां नारी मां बन “जीवन” देती है, ..अपना हाथ दे “चलना” सिखाती है, ..जो अपने ममता के तले बच्चों का “ब्रह्माण्ड” बसाती हैं,..
● वह नौ महीने बच्चे को अपने पेट में रखती है,
● अपने रक्त से हमारा पालन-पोषण अपने पेट में करती है,
● जन्म लेने के बाद अपने लाल खून को सफेद दूध में परिवर्तित करके हमें पिला देती है, – और
● हमारे शरीर का पोषण करके हमें बड़ा बना देती है, .. ..माता का प्यार, ..दुलार, ..दूध तथा पोषण जिनको नहीं मिलता है, ..वह अपूर्ण होता है। — उस — ..माँ रुपी “नारी” को “राज” प्रणाम करता है..जो अपने ममता के तले बच्चों का ब्रह्माण्ड बसाती हैं, ..
— राज मालपानी