कविता

आस

जितना उससे मिलता हु
उतना ही मिलने की आस होती है
वो कितनी भी दूर हो
लेकिन मेरे दिल के आस पास होती है
गर ये भी लगता है
की कभी मिल नही पाएंगे
तब भी पता नही क्यों
बस उसी से मिलने की क्यों प्यास होती है
माना की मुमकिन नही
पूरी हो हर आरज़ू
पर जीने के लिए
जैसे सांस जरूरी है
वैसे ही उन्हें पाने की इच्छा
इन साँसों के लिए अनायास होती है
नही जानता
वो कितनी जरूरी है औरों के लिए
पर मेरे लिए वो
सबसे जरूरी और खास होती है
जितना भूलता हूँ उसको
उतनी वो मेरे अहसासों में
हर बार एक नया अहसास होती है
गर ये भी लगता है
की कभी मिल नही पाएंगे
तब भी पता नही क्यों
मेरी रग रग उदास होती है
बस उसी से मिलने की क्यों प्यास होती है

महेश कुमार माटा

नाम: महेश कुमार माटा निवास : RZ 48 SOUTH EXT PART 3, UTTAM NAGAR WEST, NEW DELHI 110059 कार्यालय:- Delhi District Court, Posted as "Judicial Assistant". मोबाइल: 09711782028 इ मेल :- [email protected]