बाल कविता

बालकविता : चलो प्रकृति की ओर

हरदम घर में कंप्यूटर पर
करते रहते काम।
चैटिंग, सर्फिंग और टाइपिंग
वही सुबह से शाम।

निकलो घर से खुली हवा में
करो बाग की सैर।
मत खिलवाड़ करो सेहत से
तभी रहेगी खैर।

ज्यादा देर अगर बैठे तो
है केवल नुकसान।
मेरी इन बातों पर भैया
क्यों न देते ध्यान।

होगा सिर में दर्द तुम्हारे
आँखें भी कमजोर।
छोड़ो भी अपना कंप्यूटर
चलो प्रकृति की ओर।

खुली फिज़ा में मिलती ठंडक
आओ इसके पास।
तुम्हें बुलाते फूल- तितलियाँ
व हरियाली घास।

डॉ.फहीम अहमद

डॉ. फ़हीम अहमद

मकान नं०485/301,जेलर्स बिल्डिंग,बब्बू वाली गली,लकड़मंडी,डालीगंज,लखनऊ-226020(उ.प्र.) मोबाइल नम्बर:08896340824 ई-मेल:hadi.faheem@yahoo.com

One thought on “बालकविता : चलो प्रकृति की ओर

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सत्य कथन
    उम्दा रचना

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