लघुकथा

लघुकथा : रिश्ता

“पांडे मैडम  शाम को सपरिवार उमा दीदी को देखने आ रही हैं ” जानते ही घर की हलचल बढ़ गयीं ! घर सजाने से पकवान बनाने-मंगाने तक !रमा की हिंदी टीचर हैं और बहुत मानती हैं रमा को ! माँ ने उनके केप्टन बेटे के लिए उमा का रिश्ता भेजा था ! रमा की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था,तो अब दीदी की सास बन जायेंगी मेम,उसकी तो धाक जम जायेगी !
मैडम आयीं,भव्य स्वागत हुआ ! उमा दीदी चाय लेकर गयीं,थोड़ी बात हुई फिर संकोच के कारण दीदी अन्दर चली गयीं !पर रमा को क्या संकोच ? सभी से खूब बतियाती रही !” जवाब भिजवा देंगे “कह कर वो चली गयीं ! दो दिन बाद जवाब आया उसे सुन कर पूरा परिवार सन्न रह गया !उन्होंने बेटे के लिए उमा को नहीं रमा को पसंद किया था ! तीन दिन तक घर में खुसर-पुसर सी होती रही फिर माँ ने आखिर रमा से उसकी राय पूछ ही ली ! आखिर शादी तो दोनों की ही करनी है !
रमा,उनके बेटे से मिल चुकी थी,पसंद भी था पर “हाँ” कैसे कह दे ?आखिर उसकी दीदी की भावनाओं को ठेस जो लगी है , एक तरह से बिफर  कर बोली — ” मेरी तरफ से ना कर दो माँ ! हम कोई सब्जी-भाजी या कपडे नहीं कि यह पसंद है वो नहीं। … आखिर उन्हें भी तो पता चले कि “ना’ सुनने का दुःख कैसा होता है “
पूर्णिमा शर्मा,

पूर्णिमा शर्मा

नाम--पूर्णिमा शर्मा पिता का नाम--श्री राजीव लोचन शर्मा माता का नाम-- श्रीमती राजकुमारी शर्मा शिक्षा--एम ए (हिंदी ),एम एड जन्म--3 अक्टूबर 1952 पता- बी-150,जिगर कॉलोनी,मुरादाबाद (यू पी ) मेल आई डी-- Jun 12 कविता और कहानी लिखने का शौक बचपन से रहा ! कोलेज मैगजीन में प्रकाशित होने के अलावा एक साझा लघुकथा संग्रह अभी इसी वर्ष प्रकाशित हुआ है ,"मुट्ठी भर अक्षर " नाम से !