कविता : बेटी
दुआओं सी मासूम
कोमल सपनो सी !
फूलों पर झरती हुयी,
शबनम सी !
पूजा है प्यार है बेटी,
ईश्वर का अनुपम उपहार है बेटी !
मन्नत में मांगी हुई मुराद ,
घर में खुशियों की बरकत
सी!
माँ बाबा के दिल की धड़कन,
घर में खुशियों की गुंजन सी!
आशा और उम्मीदों की उड़ान है बेटी !
पूजा है प्यार है बेटी,
ईश्वर का अनुपम उपहार है बेटी!
रंग तितलियों के ले आयीं वो सारे,
वो शगुन की रंगोली सी!
चले तो लक्ष्मी का आगमन,
शोख चंचल हिरनी सी!
गंगा सी पावन,झरनों की कल-कल है बेटी!
पूजा है प्यार है बेटी,
ईश्वर का अनुपम उपहार है बेटी!
दूध में घुली सूरज की लाली
रुप देख माँ जाये बलिहारी!
कभी गायत्री कभी सरस्वती,
कभी वो दुर्गा काली सी!
सती सावित्री सी श्रद्धा और संस्कार है बेटी–
पूजा है प्यार है बेटी,
ईश्वर का अनुपम उपहार है बेटी!
वेदों ऋचाओं सी उसकी बोली,
साँसों-साँसों महके कस्तूरी!
घर के आँगन की वो तुलसी,
बाहर मनचलों पर गिरी बिजली सी !
झांसी की रानी सी हिम्मत वाली है बेटी–
पूजा है प्यार है बेटी,
ईश्वर का अनुपम उपहार है बेटी!
— राधा श्रोत्रिय”आशा”