ग़ज़ल
प्यार में लाख शिकवा गिला कीजिये
मुस्कुराते हुये बस मिला कीजिये ।
जिंदगी का सफर शूल की है डगर
मुस्किलों का जरा सामना कीजिये।
प्यार का रोग मुझको लगाया सनम
दर्द दिल की मिरे अब दवा कीजिये ।
आप को देख कर रात गुजरे मिरी
चाँद बनकर फ़लक पर रहा कीजिये।
सर झुका के तुझे ‘धर्म’ जीना पड़े
काम ऐसे न जग में किया कीजिये ।
— धर्म पाण्डेय
बहुत खूब !
वाह वाह .