कविता कविता : गांव और शहर पंकज कुमार साह 30/11/2015 एक शहर कई गांव हो सकते हैं लेकिन एक गांव शहर नहीं हो सकता गांव में संस्कृत है संस्कृति है शहर सुसज्जित है सज्जनों से, गांव में भूखे नंगे हैं लेकिन कहीं बेहतर हैं शहरी नंगो से…. — पंकज कुमार साह