कविता

कविता : बनारस की इन राहों में

बनारस की इन राहों में
वेदना की विकल बाँहों में
चल रहा मैं
अनजान बेसहारा
ग्रीष्म की दहकती दाह में
जल रहा मैं
एक गम का मारा
बनारस की इन राहों में
हर साँस बोझिल हो चली
हर पल निकलता जा रहा
मैं भटकता चल रहा
लिए मन में झमेला
आह ! एकदम अकेला
बनारस की इन राहों में
सुनी राहों से तंग आकर
लौटा जो घर में अकेला
तुमको न पाकर सदन में
चुभ रहा जो साँझ का बेला
रात अंधियारी थी घनी
मेरे लिए ही थी जो बनी
मौन रोता , मौन सोता
ऐसे ही अपना जी बहलाता
हाय ! बिल्कुल अकेला
बनारस की इन राहों में
वेदना की विकल बाँहों में
चल रहा मैं
अनजान बेसहारा
ग्रीष्म की दहकती दाह में
जल रहा मैं
एक गम का मारा
बनारस की इन राहों में …..

नीरज वर्मा “नीर”

नीरज वर्मा 'नीर'

संक्षिप्त परिचय नीरज वर्मा "नीर" जन्म - 18 नवंबर 1980 शिक्षा - अंग्रेजी साहित्य से स्नातक अन्य - ऐ. डी. एफ. ऐ. , सी. एफ. ऐ. , पी . जी. डी. सी . ऐ . अभिरुचि - संगीत , लेखन , अध्ययन लेखन विधा - कवितायेँ ( छन्दबद्ध , छन्द मुक्त ), आलेख , कहानियाँ, लघुकथाएँ, व्यंग I समाज कल्याण (महिला एवं बाल विकास मंत्रालय - भारत सरकार , वागर्थ ( भारतीय भाषा परिषद ), स्पंदन , जय -विजय , कृषि नजर, सर्वप्रथम समाचार , अद्भुत समाचार , लोकजंग , रचनाकार , समेत देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में नियमित रचनाएँ प्रकाशित , सुखद पल - कुछ विद्यालयों के लिए उनके कुल - गीत का निर्माण , एक संयुक्त काव्य संग्रह कस्तूरी कंचन प्रकाशित , नीरांजली, वेदना के स्वर ( काव्य -संग्रह ) प्रकाशनाधीन अनेक सामाजिक एवं साहित्यिक संस्थाओं में सक्रिय भूमिका , व अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन ई मेल - [email protected] neerajomverma.blogspot.com सम्पर्क सूत्र- 08858298961, 8418086835 पता – वाराणसी - 221010, उत्तर प्रदेश