सादर शुभकामाएं
मित्रों सादर शुभ दिवस, आज युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच द्वारा दिल्ली में वार्षिक सभा का आयोजन किया गया है जहाँ देश-विदेश से गणमान्य रचनाकारों के सानिध्य में मुझे भी दर्शन का अवसर मिला था पर अपने अन्य दायित्वों के निर्वहन से मै पहुँच न सका जिसका मुझे बेहद अफसोस है……उसी उपलक्ष्य में एक पोस्ट किया है जो आप सभी से साझा कर रहा हूँ……
सादर प्रणाम युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच, ऎसे सुनहरे मौके पर न पहुँच पाने का खेद जो मुझे हो रहा है उसका वर्णन कर पाना मेरे लिए संभव नहीं है । खैर, ………मंच के महान मनीषियों को सादर प्रणाम, सादर शुभकामाएं व हार्दिक बधाई……….मंच ऊंचाइयों पर सदैव विद्यमान रहें परम पिता परमेश्वर से यही विनती करता हूँ । जय हो युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच की, जय हिन्द…….
सादर शुभकामाएं सह हार्दिक बधाई
आस्मां में गूँजती उत्कर्ष की शहनाई
चूक हुई मुझसे समय का तकाजा है
रहा मन मसोसकर याद सबकी आई ।।
सादर प्रणाम है विद्वत गुरु वृन्दन को
महिमा अपार है साहित्य के सृजन को
महान विभूतियों के दर्शन से बंचित मन
शरीर से हूँ यहाँ दिल आत्मा से वंदन को ।।
चाहत बहुत थी कि मंच शोभा निहारूँ
अपनी किसी रचना से साहित्य पुकारूँ
हतप्रभ सा रह गया अट्ठाइस नवम्बर को
उन्तीस नवम्बर को रह अकेले ही गुजारूँ ।।
नियति के गर्भ में किसके क्या लिखा है
समय से पहले किसका सूरज निकला है
कई गुना बढ़ गई है मन की चाहना मेरी
मंच की सफलता में मेरा हृदय खिला है ।।
नमन है कलम को नमन अभिनदंन हैं
नमन कवि वृंदों का सादर शुभ वंदन है
नमन उस भूमि का साहित्य चूमती जो
नमन गुरुजनों का चरणरज चन्दन है ।।
महातम मिश्र