गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

जात-मज़हब के सभी पर्दे हटाकर देखो
हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई को बराबर देखो

लाख तीरथ करो,या पूज के पत्थर देखो
न मिलेगा रब, अगर दिल के न भीतर देखो

रंग लाती है दुआ क्या,ये पता तुम को चले,
कभी आशीष बुज़ुर्गों के तो लेकर देखो

आग बदले की धधक कर ये बताती है मुझे,
सूख जाता है यूँ ही नेह का सागर देखो

बात जब हद से ज़ियादा बढ़े,दिल मेरा करे,
आप घर देखूँ,कहूँ बीवी से दफ़्तर देखो

मेह्रबाँ हो गया क्या आसमाँ उसपे थोडा,
उसके पड़ते नहीं अब पाँव ज़मीं पर देखो

मेरे अश्कों ने भी क्या खूब सितम ढाया है,
शर्म से लाल हुआ जाता समन्दर देखो

हो के बेख़ौफ़ उड़ो दूर गगन में ‘जय’ पर,
हों ज़मीं पर ही तेरे पाँव,ये अक्सर देखो

जयनित कुमार मेहता

पिता- श्री मनोज कुमार मेहता जन्मतिथि- 06/11/1994 शिक्षा:बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय,मधेपुरा(बिहार) से राजनीति शास्त्र में स्नातक (अध्ययनरत) रूचि: साहित्य में गहन रूचि। कविता,गीत, ग़ज़ल लेखन.. फेसबुक पर निरंतर लेखन व ब्लॉगिंग में सक्रिय! प्रकाशित कृतिया: एक साझा काव्य संग्रह 'काव्य-सुगंध' शीघ्र (जनवरी 2016 तक) प्रकाश्य!! पता: ग्राम-लालमोहन नगर,पोस्ट-पहसरा, थाना-रानीगंज, अररिया, बिहार-854312 संपर्क:- मो- 09199869986 ईमेल- [email protected] फेसबुक- facebook.com/jaynitkumar