कविता

विश्व विकलांग दिवस

आज विश्व विकलांगता दिवस है
उनका दिन
जिन्हें किस्मत ने हराया
मगर हौंसलों ने गिरने न दिया
जिन्हें हालात ने मजबूर किया
मगर उङानों ने मरने न दिया
मैँ बधाई देती हू
हर उस विशेष शक्सियत को
जो झुके नही
रुके नही
बस बढते चले
एक मिशाल बनकर
उन विकलांगो के लिये
जो तन से नही
मन से विकलांग है
कभी बेटी जन्म के प्रति
अपनी मानसिकता से
तो कभी सामाजिक रिवाजों की
हीनता से
कभी फैलते हुऐं अंधविश्वासो से
तो कभी कही सुनी हुई
बातो से
है विकलांग जो
औरत के प्रति अपनी निष्ठा से
तो कभी खोखली प्रतिष्ठा से
माता पिता के प्रति उदासीनता से
तो कभी दिखावे की पराधीनता से
जो हमेशा से ही रहे है असक्षम
अपनी आंकाक्षाओं से..
कहने को संम्पूर्ण है मगर
विकलांग है अपनी भिन्नताओं से

*एकता सारदा

नाम - एकता सारदा पता - सूरत (गुजरात) सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने [email protected]