“मौसम है क्या”
सादर सुप्रभात मित्रों, चेन्नई में बाढ़ का कहर देखकर मन द्रवित हुआ और आज उसी विषय पर युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच द्वारा रचना प्रस्तुत करने का अवसर इस चित्र के माध्यम से प्राप्त हुआ। कलम चलती गयी और जो लिखा गया वो आप को सादर प्रस्तुत है | आप सभी का दिन शुभ हो……….
आई हुई है बाढ़ भला यह मौसम है क्या
किससे करूँ गुहार भला यह मौसम है क्या
जल का तांडव देख हिली है सारी दुनिया
अब तो करों विचार भला यह मौसम है क्या ॥
मत भूले इंशान इस कुदरत को गले लगाना
कुदरत के कई विधान मत बन अधिक सयाना
जिसने जन्म दिया है तुझको उसका कहना मान
राह बना ही लेती नदियां न कर चतुर बहाना ॥
धारा मे जो उसके आता बह जाता है तिनकों सा
बूंदें पानी को तरसेगी आस लगा के चातक सा
नदियों के संग बहना होगा रख के स्वच्छ विचार
अपना कचरा अपने माथे जीवन जल जलकुंभी सा ॥
विगत भावना जब जब आए दूभर होता जीना
ना मानों तो देखों जाके चेन्नई का क्रंदित सीना
मिले सीख तो ले लो साथी जीवन बड़ा महान
विदा प्रदूषण को करना है न रह जाए कोई बौना ॥
महातम मिश्र
वाह श्रीमान जी बहुत सुंदर रचना आगे के लिए शिक्षा प्रद।।।
सादर धन्यवाद मित्र रमेश सिंह जी, आभार
वाह श्रीमान जी बहुत सुंदर रचना आगे के लिए शिक्षा प्रद।।।