हाइकु/सेदोका

सेदोका

१) जब भी दर्द
हद से गुज़रता
रोना चाहता मन
रो नहीं पाता
ज़माने के डर से
सिर्फ़ हँसी सजाता ।

२) परदेश में
ठण्डी हवा का झोंका
धीरे से लेता आए
यादें पुरानी
माँ का नर्म आँचल
वही सुनी कहानी ।
३) शहरी भीड़
सब कुछ मिलता
बिखरा चमचम
नहीं मिलता-
तारों की छाँव तले
वो सपने सजाना ।

४) नहीं डरती
आने वाले पल से
जो ख़त्म हो जाएगा,
मेरी कविता
बिना किसी अंत के
कितनी अधूरी सी ।
५) देर हो गई
बेटी घर न आई
घबराने लगी माँ
भैया को भेजा
हाथ थामे रखना
भीड़ भरे रस्ते पे ।

प्रियंका गुप्ता