हार से हार मत मानो तुम
हारने से क्यों डरते हो तुम ,
हार से हार मत मानो तुम
यदि जीवन में कुछ करना है हासिल ,
तो हार को गले लगाओ तुम !
असफलता, सफलता की सीढ़ी है
गिरकर संभलना ही तो जिंदगी है ,
आंसू तो केवल मज़बूरी हैं
आंसू कभी न बहाओ तुम !
हार का कारण पहचानो तुम,
बहाने अधिक न बनाओ तुम
किस्मत और समय को दे दोष ,
नकारात्मक विचार मत लाओ तुम!
हारना तो इक ठोकर है ,
ठोकर लग कर उठ जाओ तुम
गलतियों से कुछ सीखो अपनी,
पर गलती को मत दोहराओ तुम!
हार को जीत में बदलना हो,
तो ढृढ निश्चय दिखाओ तुम
समुद्र की लहरों की तरह,
इक नईं तरंग जगाओ तुम !!!
— डॉ सोनिया
बहुत सुंदर साेनिया जी । बधाई हो।
बहुत सुंदर साेनिया जी । बधाई हो।