लघुकथा

लघुकथा- जंगली जानवर

पिताजी समझा रहे थे, मगर बच्चा समझ नहीं पा रहा था. वह प्रश्न पर प्रश्न करे जा रहा था. आखिर पिताजी थक गए. उन्हों ने चित्र हाथ में ले कर संक्षेप में समझाने का निर्णय लिया, “ इसे हम एक उदहारण से समझ सकते है.
“ जैसे हमारा यह मुंबई मकानों का जंगल हैं वैसे ही पेड़पौधो का जंगल हुआ करता था. जहाँ ये सब जंगली जानवर-हाथी, शेर, भालू, बन्दर, बतख, सारस आदि रहा करते थे.”
“ अच्छा पापा ! पहले ये सब जंगल में मंगल करते थे. फिर वह जंगल कहाँ गया और यह जंगल कहाँ से आ गया ?”
“ बेटा ! आदमी बढ़े और यह जंगल बढ़ गया और वह जंगल घट गया.”
“ फिर यह दो पैर का जंगली जानवर शहर आ गया होगा. मगर यह रहता कहाँ है पापा ? मुझे भी ये सब जंगली जानवर देखना है ताकि मैं इस चित्र पर अच्छा सा निबंध लिख संकू.”
तभी पिताजी अपना माथा पकड़ कर बैठ गए और मन में सोचने लगे कैसे बताऊँ कि इनका निवास स्थान तो व्यक्ति के अंदर हैं.

*ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

नाम- ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जन्म- 26 जनवरी’ 1965 पेशा- सहायक शिक्षक शौक- अध्ययन, अध्यापन एवं लेखन लेखनविधा- मुख्यतः लेख, बालकहानी एवं कविता के साथ-साथ लघुकथाएं. शिक्षा-बीए ( तीन बार), एमए (हिन्दी, अर्थशास्त्र, राजनीति, समाजशास्त्र, इतिहास) पत्रकारिता, लेखरचना, कहानीकला, कंप्युटर आदि में डिप्लोमा. समावेशित शिक्षा पाठ्यक्रम में 74 प्रतिशत अंक के साथ अपने बैच में प्रथम. रचना प्रकाशन- सरिता, मुक्ता, चंपक, नंदन, बालभारती, गृहशोभा, मेरी सहेली, गृहलक्ष्मी, जाह्नवी, नईदुनिया, राजस्थान पत्रिका, चैथासंसार, शुभतारिका सहित अनेक पत्रपत्रिकाआंे में रचनाएं प्रकाशित. विशेष लेखन- चंपक में बालकहानी व सरससलिस सहित अन्य पत्रिकाओं में सेक्स लेख. प्रकाशन- लेखकोपयोगी सूत्र एवं 100 पत्रपत्रिकाओं का द्वितीय संस्करण प्रकाशनाधीन, लघुत्तम संग्रह, दादाजी औ’ दादाजी, प्रकाशन का सुगम मार्गः फीचर सेवा आदि का लेखन. पुरस्कार- साहित्यिक मधुशाला द्वारा हाइकु, हाइगा व बालकविता में प्रथम (प्रमाणपत्र प्राप्त). मराठी में अनुदित और प्रकाशित पुस्तकें-१- कुंए को बुखार २-आसमानी आफत ३-कांव-कांव का भूत ४- कौन सा रंग अच्छा है ? संपर्क- पोस्ट आॅफिॅस के पास, रतनगढ़, जिला-नीमच (मप्र) संपर्कसूत्र- 09424079675 ई-मेल [email protected]

8 thoughts on “लघुकथा- जंगली जानवर

  • लीला तिवानी

    मानव में इंसानियत का वास हो जाए, तो जंगल में मंगल हो जाए. बहुत अच्छे.

    • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

      शुक्रिया लीला तिवानी जी आप की अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए आप का दिल से शुक्रिया.

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी लघुकथा ! मनुष्य एक सामाजिक जानवर है.पर कई बार वह असामाजिक कार्य कर जाता है, जिससे वह जानवरों से भी बुरा हो जाता है.

    • ओम प्रकाश क्षत्रिय

      आदरणीय विजय कुमार सिघल जी आप का शुक्रिया. आप को लघुकथा अच्छी लगी. पढ़ा कर लगा कि मेरी मेहनत सफल हो गई. .

    • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

      आदरणीय विजय कुमार जी आप ने बहुत उम्दा बात कही है. कभी-कभी व्यक्ति वह कर जाता है जो उसे करना नहीं चाहिए.

  • लघु कथा अच्छी लगी ,यह दुनीआं इमारतों का जंगल ही तो है .

    • ओम प्रकाश क्षत्रिय

      आदरणीय Bhamra जी आप को लघुकथा अच्छो लगी. यह जानकर प्रसन्नता हुई. आभार आप का,.

    • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

      आदरनीय आप को लघुकथा पसंद आई. शुक्रिया आप का

Comments are closed.