कविता

कविता

हरी घास पर बैठ कर
गुलमोहर की छांव में
मैं सिर्फ तुम्हें सोचती हूँ
और मेरी उंगुलियाँ
पेड़ से गिरे फूलों की
नर्मी को महसूस करती हैं
भींगी हुई मिट्टी से
उठती सोंधी सी ख़ुशबू
मेरे हमसफ़र‘….
गुज़रे हुए मौसम की महक
वो दिलकश महक
जो मेरी साँसो से गुज़र कर
तेरी साँसो में समा गई है
और तेरे प्यार का एहसास
मेरे लबों की गुलाबी हंसी बन गई है
दूर तेरे ख़यालों में गुम
शाख़-दर-शाख़
अपने ख़ुशनुमा पर लपेटे हुए
एक तितली बेखौफ़ उड़ रही है
और उसे देख कर ना जाने क्यूँ
मुझे ये एहसास होता है
मेरे ख़यालों को भी पर मिल गए हैं‘….!!!

रश्मि अभय

रश्मि अभय

नाम-रश्मि अभय पिता-श्री देवेंद्र कुमार अभय माता-स्वर्गीय सुशीला अभय पति-श्री प्रमोद कुमार पुत्र-आकर्ष दिवयम शिक्षा-स्नातक, एलएलबी, Bachelor of Mass Communication & Journalism पेशा-पत्रकार ब्यूरो चीफ़ 'शार्प रिपोर्टर' (बिहार) पुस्तकें- सूरज के छिपने तक (प्रकाशित) मेरी अनुभूति (प्रकाशित) महाराजगंज के मालवीय उमाशंकर प्रसाद,स्मृति ग्रंथ (प्रकाशित) कुछ एहसास...तेरे मेरे दरम्यान (शीघ्र प्रकाशित) निवास-पटना मोबाइल-09471026423 मेल [email protected]