हाइकु/सेदोका

सेदोका

1)
कोमल हाथ
कलम को पकड़
लिखना सीख रहे
माँ की आँखों में
सपनों का सागर
पार है उतरना ।

2)
जीवन भर
रिश्तों की लाश ढोई
सपनों का बैताल
काँधों पर लादे
दर-दर भटकी
मिला नहीं जवाब ।

3)
जब भी चाहा
साथ कोई न आया
अपना या पराया
फिर भी सीखा
गुलाब सी ज़िन्दगी
मुस्करा कर जीना ।

4)
ढूँढती फिरे
पनियाली नज़र
बुढ़ापे का सहारा
चिठ्ठी में आए
कितना बँटा-बँटा
कलेजे का टुकड़ा ।

5)
कितना चाहा
तेरा साथ निभाना
तुझे ही तो न भाया
मेरा सहारा
ग़ैरों के काँधों पर
तुझे था पार जाना ।

6)
प्यासी धरती
वर्षा की बाट जोहे
बेवफ़ा हैं बादल
कुछ पल को
निहार लेता रूप
मुँह फेर भागता ।

प्रियंका गुप्ता

One thought on “सेदोका

  • अनिता मण्डा

    वाह प्रियंका जी बहुत खूब!!

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