मुक्तक
मन्दिर में तू दीये जला रहा है
रामा रामा तू गुनगुना रहा है
मन में तो तेरे धूल नफरतों की
फिर ये काहे नाटक रचा रहा है !!!
मन्दिर में तू दीये जला रहा है
रामा रामा तू गुनगुना रहा है
मन में तो तेरे धूल नफरतों की
फिर ये काहे नाटक रचा रहा है !!!