जुड़ी हूं मैं
कभी तेरा
दिल रखने के लिए,
कभी तेरी
मासूमियत देखकर,
मैंने तेरी बातें मान लीं
अपना मन मारकर,
आज देखती हूं
जब तुझे बेपरवाह
तो टूट जाती हूं
भीतर से पर ,
बिखरने नहीं देती
ये टूटन
क्योंकि,
मैं जानती हूं
मेरे टूटने का दर्द
तुझ तक भी पहुंचेगा
इसलिए,
सिर्फ और सिर्फ
तेरी खुशी के लिए
मैं खुदको
जोड़े रखती हूं
भीतर से भी
और तुझ से भी…
— शिवानी शर्मा