नववर्ष पर एक नवगीत
नए स्वप्न हैं,नई उमंगें..
उठी हैं दिल में नई तरंगें..
लेकर अपने साथ,
अपार हर्ष आया है।
करो स्वागत, नववर्ष आया है।।वर्ष भर की सुप्त-सी,
ख़्वाहिशें मचल उठीं..
राख बन चुकी थी बुझ के,
आग वो फिर जल उठी..कर दे लोहे को सोना, वो
पारस-सा स्पर्श लाया है।
करो स्वागत, नववर्ष आया है।।होगा नया सवेरा, अब
अंधियारा नहीं रहेगा..
हो मजबूर किसी दीन का,
आंसू नहीं बहेगा..हों दृढ़-संकल्पित, बदलने जग को
यही निष्कर्ष लाया है।
करो स्वागत, नववर्ष आया है।।— जयनित कुमार मेहता
सुंदर गीत