सुनो केजरीवाल !
कहानी बड़ी है, आपने सुनी होगी लेकिन छोटे में सुनाता हु फिर आगे पढियेगा.
एक बालक था जिसका बचपन का नाम “अहिंसक” था. वो कोशल नरेश पुरोहित भार्गव का पुत्र था और माता थी उसकी मैत्रायणी. अहिंसक बचपन में दिखने से सुडोल सुन्दर विचारणीय था एसा सबको लगता था, अहिंसक बन उसने सारी तरकीबे अश्त्र एवं शस्त्र विद्या लिया लेकिन चंडाल योग वश आगे चलकर यही बालक अहिंसक से अंगुलिमाल बना जो जैत वन में विचरण करता था, अहिंसक से अंगुलिमाल बनने की प्रक्रिया ये थी की जिसको भी वो मारता था उसकी एक अंगुली अपने माला में डाल गले पे पहन लेता था.
एक ज़माने भगवान् बुध्द जैत वन में ठहरे थे, जिसमे अंगुलिमाल नाम का भयानक डाकू रहता था, उसने भगवान् को देखा तो बोला “ठहर अभी बताता हु तुझे” बुध्द बोले, “मै तो ठहरा हु तू कब ठहरेगा?”
अंगुलीमाल को लगा कि इस आदमी का दिमाग खराब हो गया है। नहीं तो ऐसा एक भी आदमी अपने जीवन में नहीं देखा जो मुझेको देख कर न कांप जाए, जरूर ये पागल टकरा गया, खेर मुझे क्या, परन्तु आज मुझे क्या हो गया है मेरा दिल क्यों बैठा जा रहा है। वो ये सब सोच ही रहा था कि इतनी देर में भगवान उसके बिलकुल पास आ गए अब अंगुलीमाल का पूरा शारीर पसीने से तर बतर हो गया, और उसके हाथ कांपने लगे, लग रहा था फरसा जो सालों से उसकी पकड़ में था आज वो कमजोर हो रही है। भगवान ने कहा: ‘अंगुलीमाल मारने में भी कोई कला है। यह तो कोई साधारण से साधारण आदमी भी कर सकता है। कोई कायर, भीरू भी कर सकता है। जोड़ना सीख.
इस समय आज आप उसी अंगुलिमाल की याद दिला रहे है केजरीवाल जी, जिनका राजनैतिक बचपन सुन्दर, सुडोल, सत्य इमानदार अहिंसक बन अन्ना के गोद से निकल जनता से तमाम वादे किया मुख्यमंत्री बनने पर आज तक एक भी वादा न निभा कर कौन सा सुभीता कर्म किया केजरीवाल जी? आपको आज भी लगता है की एसी कौन सी जनता है जिसको मै मुर्ख नहीं बना सकता, आज भी आप अपने कला से सबको डराना चाहते है.आपके अहिंसक और इमानदारी इस समय बहुत ही क्रूर और हत्यारी हो गयी है जो कुर्सी पा के जनता के अरमानो के हत्या कर दे. आप अपने कर्मो की माफ़ी कब मांगेगे केजरीवाल जी?
अंगुलिमाल तो तो फिर भी जंगल में रहता था, जनता जंगल न जा के बच सकती थी, लेकिन आप तो इस जनता को ही मुर्ख बना राजा बन पुरे देल्ही में ही जंगलराज लाने पे अमादा है केजरीवाल जी, लडकियों के रोज बाल्तकार हो रहे है, पुरे डेल्ही में अराजकता है, आप अपने हर दागी मित्र, मंत्री को बचाने में पूरा जोर लगा देते हैं, आप कब माफ़ी मागेंगे केजरीवाल जी? इमानदारी के नाम पे लालू से गलबहिया करने वाले, तोमर और राजेन्द्र जैसे भ्रष्टाचारियों के साथ खड़े होने वाले, एक भी चुनावी वादा न निभाने वाले आप कब माफ़ी मागेंगे केजरीवाल जी ?
आज रिक्शेवाला रिक्शा चला के पेट भरता है, ऑटो वाला ऑटो चला के, डाक्टर चिकत्सा करके, इंजीनयर यंत्र पुल इत्यादि बना के, फलवाला फल बेच के, यहाँ तक बूट पोलिश वाला भी ग्राहक के बूट पोलिश की जिम्मेदारी लेता है, और तो और भिखमंगा तक ठण्ड और गर्मी हाथ उठा के मेहनत करने की जहमत करता है लेकिन आप मुख्यमंत्री रहते हुए भी बिना किसी जिम्मेदारी के जहमत लिए हुए सिवाय गाली गलौज के कौन सा कर्म कर रहे हैं सर केजरीवाल? आप कब माफ़ी मागेंगे?
आदरणीय केजरीवाल जी, एक कहावत है की आप एक अंगुली दुसरे के ऊपर उठाते है तो तीन आपके ऊपर उठती है, और “आप” के कर्म देख के तो बाकी तीन अंगुली के साथ साथ चौथा अंगूठा भी उठना चाहता होगा आपकी तरफ लेकिन वो बस अपनी संरचना से मजबूर है इसलिए मन मसोस के रह जाता होगा. किसी के कर्म से पहले अपने आप अपने कर्म की माफ़ी कब मांगेंगे केजरीवाल जी? आपके कर्म के साथ साथ जबान भी खराब है, कृपया अपने जबान की तुलना किसी गाँव वाले से न करे, वो आपसे हद गुना जादा विनम्र और शुशील होते है केजरीवाल जी. भारत के किसी भी गाँव का आदमी अपने पिएम् के लिए ऐसी भाषा का इस्तमाल नहीं करता केजरीवाल जी, कृपया गाँव के लोगो को बदनाम करें, हम भी एक गाँव से है, और जानते है किसको क्या बोलना है, गाँव के लोग किसी कुंठित वोट बैंक से ग्रसित नहीं होते न ही वो आप जितने राजनितिक धूर्त होते है जो किसान को अपने सामने ही फांसी लगवा दे और गरीब के लाश में से भो वोट निकालने का मंसूबा बनाये, आप कब माफ़ी मागेंगे केजरीवाल जी ?
केजरीवाल जी, आप अपने कुंठा और द्वेष में हम गाँव वालो को बदनाम न करें अन्यथा अंगुलिमाल भी बदला था एक समय पे, और ये गाँव वाले /जनता आपको भी बदल के रख देगी अगले चुनाव में।
— कमल कुमार सिंह
जब केजरीवाल जी इलेक्शन से पहले इतना बोल रहे थे ,तो अब किया हो गिया ? कहीं यह तो नहीं कि इन पांच सालों में जो करना है कर लूं ,उस के बाद सभी जाएँ भाड़ में !