केजरीवाल का सच
हिन्दुस्तान के स्वघोषित सबसे बड़े ईमानदार नेता अरविंद केजरीवाल इतनी जल्दी बेनकाब हो जायेंगे, ऐसी उम्मीद नहीं थी। इतनी जल्दी तो लालू और ए. राजा के चेहरे से भी नकाब नहीं उतरा था। भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंककर जो व्यक्ति सत्ता में आया, वही भ्रष्टाचार का संरक्षक बन गया। पटना में नीतीश के शपथ ग्रहण समारोह में खिलखिलाते हुए लालू के गले लगना, कोई आकस्मिक संयोग नहीं था। कहीं न कहीं दोनों की केमिस्ट्री मैच कर रही थी।
अपनी हर कमजोरी के उजागर होने पर सारा दोष प्रधान मंत्री के सिर मढ़ देने की केजरीवाल की फितरत है। उनके मंत्री मिस्टर तोमर डिग्री के फर्जिवाड़े में पकड़े गए और गिरफ़्तार किए गए। इसे मोदी की साज़िश कहा गया। सोमनाथ भारती ने अपनी पत्नी को कुत्ते से कटवाया, बेल्ट से मारा, पत्नी ने एफ़.आई.आर. दर्ज़ कराकर न्याय की गुहार की। इसमें भी केजरीवाल को मोदी का षडयंत्र नज़र आया। शुरु में केजरीवाल उपराज्यपाल नज़ीब जंग से ही जंग करते नज़र आए, लेकिन शीघ्र ही उन्हें ज्ञात हो गया कि नज़ीब जंग बहुत बड़े पहलवान नहीं हैं। उनसे लड़ने में बहुत ज्यादा प्रसिद्धि नहीं मिल रही थी। अतः उन्होंने सबसे बड़े पहलवान का चुनाव किया और मोदी से ही जंग छेड़ दिया। ताज़ा घटना उनके प्रधान सचिव राजेन्द्र कुमार के घर और कार्यालय पर सीबीआई द्वारा डाले गए छापे की है। छापा डालने के पूर्व सीबीआई ने अदालत से अनुमति भी ली थी। एक भ्रष्ट अधिकारी के बचाव में उतरे केजरीवाल ने शालीनता की सारी सीमायें लांघते हुए प्रधान मंत्री को कायर और मनोरोगी तक कह डाला। अगर ऐसा वक्तव्य लालू ने दिया होता, तो कोई आश्चर्य नहीं होता। उन्होंने तो अन्ना के खिलाफ बोलते हुए उनके ब्रह्मचर्य पर भी सवाल उठाए थे। लालू विदूषक ज्यादा हैं, नेता कम। लेकिन एक आई.आई.टी. का ग्रेजुएट गाली-गलौज की भाषा का प्रयोग करेगा और वह भी जनता द्वारा चुने गए भारत के लोकप्रिय प्रधान मंत्री के लिए, अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है।
अब हम केजरीवाल जी के मित्र, उनके प्रधान सचिव, श्री श्री १०८ राजेन्द्र बाबा के बारे में जानकारी देना अपना फ़र्ज़ समझ रहे हैं।
*४८ वर्षीय राजेन्द्र कुमार सीएम केजरीवाल के प्रधान सचिव है।
* आईआईटी खड़गपुर से बी.टेक. करने वाले राजेन्द्र १९८९ बैच के आईएएस अधिकारी हैं।
* इसी साल फरवरी में दिल्ली के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के रूप में नियुक्त हुए।
* शहरी विकास विभाग में सचिव रह चुके हैं। ऊर्जा-ट्रांसपोर्ट जैसे विभाग भी संभाल चुके हैं।
* राजेन्द्र, केजरीवाल के सबसे विश्वासपात्र अधिकारी हैं।
* केजरी ने एल.जी. की सलाह को अनदेखा करते हुए उन्हें अपना प्रधान सचिव बनाया।
* आईआईटी, खड़गपुर में पढ़ते समय ही दोनों एक-दूसरे के काफी करीब थे, लेकिन पढ़ने में वे केजरी से तेज थे इसीलिए उनका चुनाव आएएस में हुआ और केजरी का एलाएंस सर्विसेज में।
* केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेन्द्र कुमार चर्चित घोटालेबाज रहे हैं।
* उनके खिलाफ़ भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) में २०१२ तक सात शिकायतें दर्ज़ थीं, उस समय मोदी पीएम नहीं थे।
* पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल में हुए सीएनजी घोटाले में शामिल अभियुक्तों की सूची में उनका नाम शीर्ष पर है।
* शिक्षा और आईटी विभाग में रहते हुए एक निजी कंपनी से रिश्वत लेकर लाभ पहुँचाने का भी उनपर आरोप है।
* अलग-अलग विभाग में रहते हुए राजेन्द्र कुमार ने कई कंपनियों की स्थापना कराई; फिर बिना टेंडर के उन्हें काम दिया और जी भरकर सरकारी खजाने को लूटा।
राजेन्द्र कुमार के राजधानी और उत्तर प्रदेश के ठिकानों पर छापा मारकर सीबीआई ने अबतक १६ लाख की अवैध संपत्ति बरामद की है। इनमें से २ लाख रुपए नकद और ३ लाख की विदेशी मुद्रा शामिल है।
ऐसे भ्रष्ट अधिकारी के आवास और कार्यालय पर छापे को मुख्यमंत्री कार्यालय पर छापे के रूप में प्रचारित किया गया। छापे के तुरन्त बाद केजरी महाशय प्रेस कान्फ़ेरेन्स करते हैं और गंवार लालू की तरह प्रधान मंत्री को गाली देते हैं। प्याज के छिलके की भाँति केजरी के चेहरे से एक-एक करके ईमानदारी की परतें उतरती जा रही हैं। मुझे और किसी की फ़िक्र नहीं है। फ़िक्र है तो बस अन्ना की। अपने प्रिय शिष्य की हरकतों के कारण उन्हें कही हृदयाघात न हो जाय!