गीत/नवगीत

मेरा हिन्दुस्तान है

धरती देखा अम्बर देखा देखा ए जहान है
सबसे प्यारा ये वतन मेरा हिंदुस्तान है

सच ईमान मानव का गहना औ’ लबों पे प्यार है
खेतों में लहराती फसले सावन की फुहार है
आदर सत्कार इतना कि जानवर भी पूजे जाते हैं
विश्वास दिलों में इतना है जो गैरों पर कर जाते हैं
क्या देखोगे दिल हमारा जान भी कुर्बान है
इतना प्यारा ये वतन मेरा हिंदुस्तान है!!!!!!

है हाथों में अपार कला जो पत्थर भी गढ़ जाते हैं
ताजमहल या लाल किला हो भारत भारत गाते हैं
संस्कृति के बाग में कत्थक बिहु कहते हैं
दुनिया वाले हमसे सीखे जिन्दगी कैसे जीते हैं
रहना सिखाया पहनना सिखाया औ’ सिखाया सम्मान है
इतना प्यारा ये वतन मेरा हिंदुस्तान है!!!!!!

अजमेर हो या अमृतसर कहीं मथुरा कहीं काशी है
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई सब भारत वासी है
नहीं कहता है मजहब अपना बटवारे को जान दो
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा एक है, न तुम इनको नाम दो
भाई चारे में एकता भारत की पहचान है
इतना प्यारा ये वतन मेरा हिंदुस्तान है!!!!!!

प्रकृति ने छटा बिखेरी कल-कल झरने बहते हैं
अनेकता में एकता गंगा जमना कहते हैं
जब भी जन्मू मै दोबारा यही धरती यही देश मिले
फिर वतन पर मरने को यही संस्कृति परिवेष मिले
ये अनोखा देश मेरा दुनिया में महान है
इतना प्यारा ये वतन मेरा हिंदुस्तान है!!!!!

— अतुल बालाघाटी

अतुल बालाघाटी

नाम- अतुल बालाघाटी शिक्षा- हायर सेकण्डरी ( शाला- परसवाड़ा, बालाघाट) तथा आई० टी० आई०( बालाघाट) बी. ए. हिन्दी उम्र- २३ वर्ष मो० 9755740157, 9009697759 e mail- [email protected] पता- ग्राम चीनी ,तह- परसवाड़ा ,जिला- बालाघाट (म प्र)