कविता
घने अँधियार में जैसे कोई जुगनू चमकता है,
भरे बाजार में वैसी हमारी एक सलोनी है।
लबों पर सजके बैठे है मोहब्बत के तराने सब,
आज की रात में उससे हमारी बात होनी है।
लगा है खुशियों का मेला मेरे दिल के घराने पर,
जैसे राजा के महलों में कोई बारात होनी है…!