कविता : एक गुजारिश नववर्ष से
सुनो नव वर्ष इस तरह से आना
जीवन में सबके खुशियां लाना !
खोये रहते जो अंधेरों में हमेशा
उनके मन में इक दीप जगाना !
खुशी आ जाए चेहरे पे उनके
भूल गये हैं जो मुस्कराना !
उजड़ गया हो चमन जिनका
उनकी बगिया को महकाना !
मन में जिनके द्वेष भरा हो
उनके मन को निर्मल बनाना!
अधूरे रह गये ख्वाब जिनके
वो भी लिख जाएं अफसाना !
बेघर न अब रहे कोई भी
सबको मिल जाए इक ठिकाना !
भागती हुई इस जिंदगी में
सबको मंजिलों तक ले जाना !
ऐसा कुछ तुम कर जाओ
नामुमकिन हो जाए तुम्हें भुलाना !
ये सब तो इस जग के लिए है
मैं तो चाहूं बस अपना कान्हा !
मुझे कुछ नहीं चाहिये तुमसे
बस मेरा कान्हा दे जाना !
सुनो नव वर्ष इस तरह से आना
जीवन में सबके खुशियां लाना !
डॉ सोनिया
आप सभी को आने वाले नववर्ष की शुभकामनाएं!!!!!!
कविता अच्छी लगी। मुझे आपकी कविता में वैदिक श्लोक “सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्’ की ध्वनि सुनाई दी है। धन्यवाद एवं शुभकामनायें।