ग़ज़ल
दीन दुनिया ईमान है कोई
बाखुदा अहले जान है कोई ।
चाहतों का दीया न बुझ जाए
आज आया तूफ़ान है कोई ।
जख्म पे जख्म दे रहा मुझको
इस तरह कद्रदान है कोई ।
इश्क अपना बयां न कर पाया
इस कदर बेजुबान है कोई ।
हार मत मानना मुसीबत में
जिंदगी इम्तहान है कोई।।
— धर्म पाण्डेय