गीत/नवगीत

गीत (अन्तिम ख़त) | शिव चाहर मयंक

 

सरहद से वर्दी संग उसका हर सपना ले जाना है!

अन्तिम ख़त साथी का मुझको उसके घर पहुँचाना है!

 

मेरा क्या हो पता नहीं माँ लेकिन देश सलामत है!

इस ख़त को रखना दामन मे मेरी यही अमानत है!

छोड चला माँ आँचल तेरा समझ नहीं कुछ आता है!

खून से लथ पथ वर्दी में ही छुपी मेरी हर गाथा है!

हर एक वार सहा सीने पर पीठ नहीं दिखलाई माँ!

पिता का सर ऊँचा रख्खा, ना तेरी कोख लजाई माँ!

अब तुमको बिन मेरे ही माँ ये परिवार चलाना है!

अन्तिम खंत साथी का मुझको उसके घर पहुँचाना है!

 

पिता तुम्हारी ऑखो में ना एक बूँद भी पानी हो!

गर्व करो खुद पर इतना जो सफल मेरी कुर्वानी हो!

सबसे ऊपर देश हमारा तुमने ही बतलाया था!

छोड चला वो ऊँगली जिसने चलना मुझे सिखाया था!

जाने कितने सपने टूटे लेकिन फर्ज निभाया है!

कतरा कतरा खून बहाकर देश का मान बचाया है!

उजडे उजडे इस आँगन को फिर से तुम्है सजाना है!

अन्तिम ख़त साथी का मुझको उसके घर पहुँचाना है!

 

मेरा ये ख़त बेटे तुझको दर्द बहुत दे जाऐगा!

हाथ खिलौने वालों से जब मेरी चिता जलाऐगा!

दोषी हूँ तेरा जो तुझको बीच राह में छोड गया!

माँ का कर्ज चुकाया मैने फर्ज पिता का तोड गया!

तेरे साथ रहा ना पल भर प्यार तुझे ना दे पाया!

आज तिरंगे से लिपटा मै तेरे आँगन अब आया!

राह चुनी जो मैने तुझको पथ वो ही अपनाना है!

अन्तिम ख़त साथी का मुझको उसके घर पहुँचाना है!

 

तेरी राखी का बहना हर कर्ज अधूरा छोड चला!

सावन, तीज, दौज, राखी से तेरा रिस्ता तोड चला!

बचपन के वो खेल खिलौने आज यहीं सब छूट गये!

मिलकर हमने ख्व़ाब सजाऐ दो पल में ही टूट गये!

पीपल की जिस डाल पे तुमने मेरा नाम उकेरा है!

उसको राखी बाँध समझना हाथ वही अब मेरा है!

माँ, बापू का हर सपना अब तुमको पूर्ण कराना है!

अतिंम ख़त साथी का मुझको उसके घर पहुँचाना है!

 

छीन के हर इक रंग तुम्हारा रंग हीन कर डाला है!

जितने मैने स्वप्न दिखाऐ उन सब पे अब ताला है!

सात जनम की कसमें सारी  सात साल में तोड गया!

आँखो से आँसू का रिस्ता जीवन भर का जोड गया!

हाथ की मैहंदी माँग की रेखा संग मेरे श्रृंगार गया!

मेरे संग संग प्रिये तुम्हारा पूरा ही सँसार गया।

अपने संग संग मेरा भी बेटे पर प्यार लुटाना है!

अतिंम ख़त साथी का मुझको घर उसके पहुँचाना है!

 

 

शिव चाहर मयंक । आगरा

शिव चाहर 'मयंक'

नाम- शिव चाहर "मयंक" पिता- श्री जगवीर सिंह चाहर पता- गाँव + पोष्ट - अकोला जिला - आगरा उ.प्र. पिन नं- 283102 जन्मतिथी - 18/07/1989 Mob.no. 07871007393 सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन , अधिकतर छंदबद्ध रचनाऐ,देश व विदेश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों , व पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित,देश के अनेको मंचो पर नियमित कार्यक्रम। प्रकाशाधीन पुस्तकें - लेकिन साथ निभाना तुम (खण्ड काव्य) , नारी (खण्ड काव्य), हलधर (खण्ड काव्य) , दोहा संग्रह । सम्मान - आनंद ही आनंद फाउडेंशन द्वारा " राष्ट्रीय भाष्य गौरव सम्मान" वर्ष 2015 E mail id- [email protected]