गीत/नवगीत

गीत (आदरणीय कलाम जी को समर्पित) / शिव चाहर मयंक

सूरज,  चाँद,  गगन  से  पहले  याद वही तो आऐगें!

मरे  नहीं  वो  अमर  हुऐ  है दिल में साथ निभाऐगें!

 

संघर्षों से लडना जिसने दुनिया  को सिखालाया था!

मेहनत और लगन के आगे मुश्किल को झुँटलाया था!

जिसने देश  को दुनिया  में पहचान नई दिलवाई थी!

जिसने अपने  बल पर खुद ही अपनी राह बनाई थी!

जिसने स्वप्न दिखाऐ खुद वो स्वप्न नहीं बन पाऐंगें!

मरे  नहीं  वो  अमर  हुऐ  हैं  दिल में साथ निभाऐगें!

 

आज उदासी ने आकर घर घर में डेरा डाला है!

बिलख रहे हैं दिल सबके मुस्कानो पर भी ताला है!

है मन्दिर , मस्जिद , गुरूद्वारे में मौन तुम्हारे जाने से!

लेकिन जन्नत खुश होगी अब वापस तुम्है बुलाने से!

“अग्नि” परिक्षा देकर भी वो राज नहीं कहलाऐगें!

मरे नहीं वो अमर हुऐ हैं दिल में साथ निभाऐगें।

 

जाने कितने “दीप” बुझे हैं कितना मातम छाया है!

भारत को अब छोड चला वो भारत का जो साया है!

भूख प्यास सब मौन हुई है आँखो में बस पानी है!

जिससे था सम्मान हमारा कैसे बना कहानी है!

उनके तथ्य यहाँ बेवस को हर पल राह दिखाऐगें।

मरे नही वो अमर हुऐ हैं दिल में साथ निभाऐगें!

 

जिसके शब्दकोष में “ना” का शब्द अभी तक नही मिला!

जिसके सपनो के आँगन में कोई संसय नहीं पला!

आज छोडकर जाने पर चहुँ ओर अन्धेरा छाया है!

उनके चरण चूमने को बादल नीचे झुक आया है!

कलाम तुम्हारे आदर्शों को जीवन भर अपनाऐगें!

मरे नही वो अमर हुऐ हैं दिल में साथ निभाऐगें!

 

शिव चाहर मयंक । आगरा

शिव चाहर 'मयंक'

नाम- शिव चाहर "मयंक" पिता- श्री जगवीर सिंह चाहर पता- गाँव + पोष्ट - अकोला जिला - आगरा उ.प्र. पिन नं- 283102 जन्मतिथी - 18/07/1989 Mob.no. 07871007393 सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन , अधिकतर छंदबद्ध रचनाऐ,देश व विदेश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों , व पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित,देश के अनेको मंचो पर नियमित कार्यक्रम। प्रकाशाधीन पुस्तकें - लेकिन साथ निभाना तुम (खण्ड काव्य) , नारी (खण्ड काव्य), हलधर (खण्ड काव्य) , दोहा संग्रह । सम्मान - आनंद ही आनंद फाउडेंशन द्वारा " राष्ट्रीय भाष्य गौरव सम्मान" वर्ष 2015 E mail id- [email protected]