कविता

धरती बनी भिखारन

भीख में तूझसे मांग रही हूं
सबका जीवन दान
बनी भिखारन तेरे दर पे
दया करो घन श्याम ।

गरज-गरज कभी ऐसे बरसे
बिछा दिया जल-जाल
कभी उड़ गये संग पवन के
तहां उड़ती रज-गुलाल
कितने झुलसे सूर्य तपन से
कितने डूबे मकान ।

बनी भिखारन तेरे दर पे
दया करो घन श्याम ।।

भरो न इतनी गागर मेरी
जो छलकत-छलकत जाय
भीग रहा है तन- बदन
मन प्यासा न रह जाय
सारे दर्द मैं पी लूंगी, पर
बच्चों का रखो ध्यान ।

बनी भिखारन तेरे दर पे
दया करो घन श्याम ।।

अतुल बालाघाटी

अतुल बालाघाटी

नाम- अतुल बालाघाटी शिक्षा- हायर सेकण्डरी ( शाला- परसवाड़ा, बालाघाट) तथा आई० टी० आई०( बालाघाट) बी. ए. हिन्दी उम्र- २३ वर्ष मो० 9755740157, 9009697759 e mail- [email protected] पता- ग्राम चीनी ,तह- परसवाड़ा ,जिला- बालाघाट (म प्र)