पानी का सदुपयोग
मम्मी पापा की डांट का भी कैलाश पर असर नहीं होता था, नल खुला छोड़ देता, खूब पानी बर्बाद करता।
एक बार उनके घर मीनाक्षी आंटी आई कैलाश की मम्मी ने पानी का पूरा भरा गिलास दिया, तो बोली, ‘‘दीदी, इतना नहीं पी पाऊंगी, इसे आधा कर दीजिए‘‘
कैलाश पूछ ही बैठा ‘‘आंटी चाय खाना तो कई लोग कम करवाते हैं, पानी में ऐसा कौन सा खर्चा हो रहा है, जो आप आधा गिलास बचाने के लिए परेशान हो रही हैं।‘‘
मीनाक्षी आंटी बोली ‘‘बेटा, पीने योग्य पानी कम होता जा रहा है, फिर इस ट्रे में जो तुम्हारी मम्मी पानी का गिलास लाई हैं, उस पानी के लिए चार जगह बिजली खर्च हुई है, फिल्टर हाउस की मोटर में, तुम्हारे घर की मोटर में जिससे पानी ऊपर वाली टंकी तक चढ़ता है, केन्ट आर ओ फिल्टर में, फिर पीने के पानी को ठंडा करने हेतु फ्रिज में – इस प्रकार हम जितना पानी का सदुपयोग करेंगे, उतनी ही बिजली की भी बचत होगी। एक पंथ दो काज पानी की बचत, बिजली की भी।‘‘
ध्यानपूर्वक कैलाश आंटी की बातें सुनता रहता, अगले दिन से कैलाश ने पानी का दुरूपयोग करना बंद कर दिया। पानी के साथ बिजली भी बचाओ का मंत्र कैलाश को समझ में आ गया था।