कविता

’नारी की व्यथा’

नारी जग की जननी है, संसार नया रच देती है।
चुप रहती कुछ न कहती है, दर्दो को हरदम सहती है।।
परिवार सम्हाले बच्चो का, खुद भूखी रह जाती है।
इंसाफ नहीं मिलता उसको, हर युग मे सतायी जाती है।।

सीता ने भी जुल्म सहे, मर्यादा को आँच न आने दी।
अग्नि परीक्षा देकर खुद, श्रीराम की लाज बचाती है।।
फिर भी दुनिया की बातों से, वन को भेजी जाती है।
क्या मर्यादा पुरूपोत्तम की, यह मर्यादा कहलाती है।।

सती प्रथा का जुल्म सहा, अब दहेज का सहती है।
कभी जहर खुद पीती है, कभी जलायी जाती है।।
वर्तमान की नारी भी, सहमी सहमी सी दिखती है।
खुलकर जीना चाहे तो, शिकार हवस का बनती है।।

मीरा ने भी जहर पिया था, अपना धर्म बचाने को।
त्याग बड़ा है नारी का, नारी की व्यथा निराली है।।
माँ-बेटी की गाली भी, नारी को ही दी जाती है।
दो-दो कुल की लाज रखे, दुनिया की रीति निभाती है।।

दुनिया भी हिल जाती है, ये धरती भी फट जाती है।
इंसाफ के खातिर नारी, जब भी कोहराम मचाती है।।
दुर्गा काली बनकर तू ही, दुनिया के जुल्म मिटाती है,
मिट जायेगी दुनिया ही, दुनिया जो तुझे मिटाती है।।

— बी.के. गुप्ता ‘हिन्द’

बी.के. गुप्ता 'हिन्द'

कवि नाम- बी.के. गुप्ता ‘हिन्द’ पूरा नाम-बृज किशोर गुप्ता पिता का नाम-श्री लक्ष्मी प्रसाद गुप्ता माता का नाम-श्रीमती ऊषा गुप्ता जन्मतिथि-1जुलाई सन्1982 व्यवसाय-कम्प्यूटर शिक्षक लेखन विधा-कविता,गजल,गीत,मुक्तक,निबंध। वर्तमान पता-कैपीटल कम्प्यूटर आई.टी.एण्ड साइन्स बड़ामलहरा ,जिला-छतरपुर म.प्र. पिन-471311 स्थाई पता-ग्राम़$पोस्ट-चन्दौरा तहसील-अजयगढ ,जिला-पन्ना(म.प्र.) पिन-488220 मोब.-9755933943 web- http://kavibkgupta.blogspot.in ई-मेल- [email protected] प्रकाशित रचनाएँ www.rachanakar.org एवं www.kavyasagar.com पर व मासिक- पत्रिकाओं पर होती रहती हैं। 51 शायरो के साझा काव्य संकलन ’’गुलदस्त ए गजल’’ मे मेरी भी गजलें शामिल सम्मान- www.kavyasagar.com द्वारा आयोजित ‘‘प्रतियोगिता कविता‘‘ ‘‘बेटी‘‘ मे उत्कृष्ट रचना प्रमाण-पत्र 26-11-2015 को आॅनलाइन जारी।