ग़ज़ल
आज कल जो भी यार मिलते हैं ।
वक़्त पर सब फरार मिलते हैं ।
जिंदगी का सफर बड़ा मुश्किल
ख्वाब सब तार तार मिलते हैं ।
नाज करिये न अपनी सूरत पे
हुस्न के भी बजार मिलते हैं ।
होंठों पर जिनके बर्फ की परतें
दिल में उनके अंगार मिलते हैं।
मंजिलें चूमती कदम इक दिन
राह में जिनको खार मिलते हैं ।
‘धर्म’ दुःख में खड़ा रहा तनहा
सुख के साथी हजार मिलते हैं।
— धर्म पाण्डेय
उत्तम ग़ज़ल !