गीत/नवगीत

गीत

तिनका तिनका बिखर रहा है, यह प्यारा संसार ।
जाने किसने बना दिया है, रिश्तों को ब्यापार ।।

मर्यादा के खेत सूख कर, बंजर हुए पड़े हैं ।
प्रेम समर्पण जैसे साथी, रूठे हुए खड़े हैं ।
बदला बदला है करुणा का, भी कोमल आकार…..
जाने किसने बना …………..।।

अम्बा बाबू जी के सपने, अब ठोकर खाते हैं ।
चार कदम चलते ही बच्चे, दूर चले जाते हैं ।
भूल चुके हैं बच्चे अम्मा, बाबू के उपकार …..
जाने किसने………..????

अब भी बागों में झूले हैं, अब भी आम पके हैं ।
अब भी गुड़िया का गौना है, अब भी लोग थके हैं ।
मगर दिलों के बीच स्वार्थ ने, भर दी है दीवार ……
जाने किसने………..???

कभी प्यार के मोती लेकर, हम चलने लगते हैं ।
कभी न्याय की खातिर मिटने, तक से हम डरते हैं ।
केवल शब्दों तक सीमित है, अब गीता का सार …..
जाने किसने………????

मानव के ह्रदयों में करुणा, रह-रह कर उठती है ।
पलकों के साए में अब भी, एक नदी पलती है ।
मगर नहीं दिखती अहसासों, की कोमल पतवार …..
जाने किसने………???

कौन भला अब अंधे काका, को रस्ता दिखलाए ।
किसी तड़पते को आखिर क्यों, अस्पताल ले जाए ।
किस पुस्तक में अब मिलता है, सुख का सच्चा सार…
जाने किसने………???

चलो शांति की फुलवारी को, हरा भरा करते हैं ।
प्यार समर्पण सच्चाई की, खाद जरा भरते हैं ।
अनुशासन की अमराई को, करते हैं स्वीकार ……
रिश्तों को फिर से देते हैं, रिश्तों का अधिकार……।।

राहुल द्विवेदी ‘स्मित’
लखनऊ
7499776241

राहुल द्विवेदी 'स्मित'

राहुल द्विवेदी 'स्मित' (अध्यापक-डी.पी.एस. एकैडमी) पिता: महेश प्रसाद द्विवेदी पता: ग्राम-करौंदी पोस्ट-इटौंजा जनपद-लखनऊ उत्तर प्रदेश (226203) जन्मतिथि: मई 20, 1987 मोबाइल: 8299494619 शैक्षिक योग्यता : बी.काम., बी.एड. साहित्यिक परिचय: प्रकाशित कृतियाँ- साझा संकलन ('कविता लोक-प्रथम उद्भाष' , 'तेरी यादें' व कई अन्य साझा संकलन प्रकाशनाधीन ) कई पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित सम्मान: 'कविता लोक रत्न सम्मान', 'स्व. इन्द्रदेव सिंह सम्मान', 'गीतिकालोक रत्न', 'काव्य श्री', 'श्रेष्ठ ग़ज़लकार सम्मान' व कई अन्य विभिन्न फेसबुक समूहों द्वारा ऑन लाइन सम्मान व पुरुस्कार

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