कविता

बस एक शब्द तुम्हारे प्यार का…

बस एक शब्द
तुम्हारे प्यार का…
महज भावनाओं से ओत-प्रोत
‘भावनाओं’ के हीं उद्बेग में
कहे गये थे शायद…
मगर बदल गए थे दुनियाँ को मेरी
और पल भर में हीं बदल गए थे
अंदाज़ तुम्हारे…
पर नहीं बदला था कहीं भी कुछ
अंतरात्मा में मेरे,
खुद से लड़ती-झगड़ती मैं…
अंदर हीं अंदर कहीं टूट कर
बिखरने लगी थी…
या यूं कहूँ तो सच में बिखर गई हूँ
जिसे कभी अब समेट नहीं पाऊँगी…
चलो छोड़ो…जाने भी दो…
वो पल अब नहीं रहें जो तुमसे शिकायत करूँ
बस एक इलतेजा है…
क्षणिक भावनाओं के आवेग में
फिर कभी किसी से ‘लव यू’ मत कहना
महज जज़बातो से बोले गए ये शब्द
किसी की ज़िंदगी बदल सकते हैं… ।।

रश्मि अभय

नाम-रश्मि अभय पिता-श्री देवेंद्र कुमार अभय माता-स्वर्गीय सुशीला अभय पति-श्री प्रमोद कुमार पुत्र-आकर्ष दिवयम शिक्षा-स्नातक, एलएलबी, Bachelor of Mass Communication & Journalism पेशा-पत्रकार ब्यूरो चीफ़ 'शार्प रिपोर्टर' (बिहार) पुस्तकें- सूरज के छिपने तक (प्रकाशित) मेरी अनुभूति (प्रकाशित) महाराजगंज के मालवीय उमाशंकर प्रसाद,स्मृति ग्रंथ (प्रकाशित) कुछ एहसास...तेरे मेरे दरम्यान (शीघ्र प्रकाशित) निवास-पटना मोबाइल-09471026423 मेल [email protected]

One thought on “बस एक शब्द तुम्हारे प्यार का…

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

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