बस एक शब्द तुम्हारे प्यार का…
बस एक शब्द
तुम्हारे प्यार का…
महज भावनाओं से ओत-प्रोत
‘भावनाओं’ के हीं उद्बेग में
कहे गये थे शायद…
मगर बदल गए थे दुनियाँ को मेरी
और पल भर में हीं बदल गए थे
अंदाज़ तुम्हारे…
पर नहीं बदला था कहीं भी कुछ
अंतरात्मा में मेरे,
खुद से लड़ती-झगड़ती मैं…
अंदर हीं अंदर कहीं टूट कर
बिखरने लगी थी…
या यूं कहूँ तो सच में बिखर गई हूँ
जिसे कभी अब समेट नहीं पाऊँगी…
चलो छोड़ो…जाने भी दो…
वो पल अब नहीं रहें जो तुमसे शिकायत करूँ
बस एक इलतेजा है…
क्षणिक भावनाओं के आवेग में
फिर कभी किसी से ‘लव यू’ मत कहना
महज जज़बातो से बोले गए ये शब्द
किसी की ज़िंदगी बदल सकते हैं… ।।
वाह वाह !