गीत/नवगीत

नवगीत – सब खोये हैं कोहरे के बाहुपाश में

सब खोये हैं कोहरे के बाहुपाश में
पर्वत, शीत हवाएँ, परिंदे
दुपके आकाश में

रही सजती धरातल भी
प्रात में
चढ़ा गुलाल गालों पर हर
बात में

सब खोये हैं कोहरे के बाहुपाश में
दिन गुजर रहा सुकून भरे
पलों की तलाश में

आग तापते कुछ लोग
अलाव भी जल रहा
दुपहरी की देह को, वो
चन्दन से मल रहा

सब खोये हैं कोहरे के बाहुपाश में
हिमनदी के कोने चिपके
जैसे पत्ते ताश में

धुंध की चादर से शहद के
कण लिपटे लगते हैं
नीले गगन के रेशमी पर्दे
खिचे हुए लगते हैं

सब खोये हैं कोहरे के बाहुपाश में
डूबी हैं सारी ख्वाइशें जैसे
सिर्फ एक काश में

अनुभूति गुप्ता

अनुभूति गुप्ता

जन्म- 05 मार्च 1987 (हापुड़, उ0प्र0) शिक्षा- बी0एस0सी0 होम साइन्स, एम0बी0ए0, एम0एस0सी0 (आई0टी0) सम्प्रति-स्वतंत्र लेखिका, प्रकाशित रचनायें - अमर उजाला, नवनिकष पत्रिका, मध्य उदय पत्रिका, दिव्यता पत्रिका, सामाजिक न्याय संदेश पत्रिका, शाश्वत सृजन, हिन्दी की ग ूंज पत्रिका, अखंड भारत, शिखर म ेल पत्रिका एवं विश्व विधायक, जबलपुर दर्पण, हमारा पूर्वांचल, लोकजंग, प्रभात केसरी, काव्य सागर, आवाम सरकार सौरभ दर्शन, वर्तमान अंकुर, नवप्रदेश, पूर्वांचल मीडिया, तीसरी जंग, शिखर विजय, समय जगत, पंजाब केसरी, दुनिया इन दिनों, नव प्रदेश समाचार पत्र में कवितायें और दैनिक जनसेवा मेल, फौलादी कलम समाचार पत्र, पूर्वांचल मीडिया, एवं मध्य उदय व वेबपोर्टल में लेख, ग्रामोदय समाचार पत्र में लघुकथायें वर्तमान अंकुर में सुविचार। रूचि - कवितायें, गजलें एवं लघुकथायें लिखना स्थाई एवं वर्तमाान पता - 103, कीरतनगर, निकट डी0एम0 निवास लखीमपुर-खीरी 262701 उ0प्र0। ईम ेल- हंदनइीनजप53/हउंपसण्बवउ मोब.- 9695083565