कविता

‘ऐ ज़िंदगी’

मेरी कविता ‘ऐ ज़िंदगी’ की शृंखला में अगली कड़ी….

ऐ ज़िंदगी आज देखा तुझे
घने कोहरे के बीच अर्धनग्न घूमते हुए
जहां लिपटे हैं सभी गर्म लिहाफ़ों के बीच
वहाँ मैने देखा तुझे…फटी पैंट में भी
मुसकुराते…खिलखिलाते हुए…
गोबर से सने हाथों से…
एक दूसरे को पकड़ने की जोश में
चेहरे पे जो चंचलता थी…
वो तुम्हीं तो थी….’ऐ ज़िंदगी’

ताउम्र जिस खुशी के लिए तरसते हैं हम
‘ऐ ज़िंदगी’ उस खुशी को देखा मैंने
कूड़ों की ढेर में नंगे पाओं…
कुछ ना कुछ ढूंढते हुए…
पीछे के ग्राउंड में जो बच्चे छुप कर
ताश के पत्तों में तुझको तलाशते हैं…
एक-एक रुपए की बाज़ी में…
जो उम्मीद चेहरे पे आती है…
वो तुम्हीं तो हो…’ऐ ज़िंदगी’

शाम ढले हाथों में हाथ डाले…
अर्धनग्न से अपने बच्चों को
कमर से लटकाए हुए…
देशी शराब की भट्टी पर…
जो पति-पत्नी जाते हैं
और लौटते वक़्त एक दूसरे से
चुहलबाजी करते हुए…
भद्दी सी गलियों में अट्टहास करते
जब वो ज़िंदगी को रंगीन बताते हैं

ऐ ज़िंदगी उस वक़्त अपना दामन
बहुत तंग नज़र आता है…
छोटी सी ज़िंदगी को बड़ी ख़्वाहिशों की
नींव में दफन कर रखी है..
‘ऐ ज़िंदगी’…रोज़ देखती हूँ तुझे…
हसरत भरी निगाहों से…
स्लम बस्ती के बाशिंदों में
बिंदास से जीते हुए…!!!

— रश्मि अभय

रश्मि अभय

नाम-रश्मि अभय पिता-श्री देवेंद्र कुमार अभय माता-स्वर्गीय सुशीला अभय पति-श्री प्रमोद कुमार पुत्र-आकर्ष दिवयम शिक्षा-स्नातक, एलएलबी, Bachelor of Mass Communication & Journalism पेशा-पत्रकार ब्यूरो चीफ़ 'शार्प रिपोर्टर' (बिहार) पुस्तकें- सूरज के छिपने तक (प्रकाशित) मेरी अनुभूति (प्रकाशित) महाराजगंज के मालवीय उमाशंकर प्रसाद,स्मृति ग्रंथ (प्रकाशित) कुछ एहसास...तेरे मेरे दरम्यान (शीघ्र प्रकाशित) निवास-पटना मोबाइल-09471026423 मेल [email protected]