एक व्यंग्य : मार्क
अभी कुछ दिन पूर्व मार्क जुकेरवर्ग दिल्ली आये थे बहुत से लोगों से मिले आगरा जाकर ताजमहल भी देखा और वहीं बहुत से लोगों को फेसबुक पर लोगों को अपडेट करते हुए भी देखा तो बड़ी जिज्ञासा हुई उन्हें कि जाने भारत में लोग फेसबुक के प्रति कैसा महसूस करते हैं तो उन्होंने प्रधानमंत्री श्री मोदी जी से आग्रह करते हुए कहा कि सर मैं यहां के आमनागरिक से मिलकर फेसबुक के विषय में विचार जानना चाहता हूँ मैं यहां आकर बहुत उत्साहित हूँ जब मैंने देखा कि ताजमहल पर भी लोग ताजमहल न देखकर फेसबुक अपडेट देख रहे हैं तो मेरे अंदर ये विचार आया प्लीज सर मुझे आप अनुमति दें, यहां के आमनगरिक से मिलने की। मोदी जी बड़ी मुश्किल में कि क्या कहें! खैर उन्होंने अपने एक दो विश्वस्त लोगों के साथ उन्हें दिल्ली गुणगाँव से लगे गांव में भेज दिया ।
मार्क बहुत ही ज्यादा उत्साहित गांव में पहुँच कर ,गांव में विराजे ही थे कि लल्लन चाचा मिल गए उनके हाथ में बढ़िया स्मार्टफोन देख तुरंत मार्क ने उन्हे रोका और पूछा हेलो डिअर whats your ओपिनियन अबाउट फेसबुक …तभी मोदी जी के सहायक ने उन्हें रोका, सर –हिंदी ,प्लीज स्मार्ट फ़ोन ये लोग चला लेते हैं लेकिन सर इनको अंग्रेजी नहीं आती मार्क एक सेकंड को लल्लन चाचा का मुँह देख अचरज में पड़ गए तो चाचा समझ गए …..और बोले अरे मारक घबराइये नहीं का पूछना था, आपको हम सब बताऊंगा ओ सफेद बुशर्ट हमें बात करने दीजिये अरे बेकार ही आप जाने का बतलाके ऊ को डरपा रहे हैं हाँ बेटा मारक पूछो तो का पूछने बाले थे …?
और चाचा जी का इंटरव्यू फिर यूँ हुआ …..सर मैं फेसबुक के विषय में आपकी राय जानना चाहता हूँ यहां आप या बाकि लोग कैसा महसूस कर रहे हैं वो खुश तो हैं फेसबुक से उन्हें कोई समस्या तो नहीं है की तभी चाचा फिर बोल पड़े
अरे रुको मारक रुको हम धीरे धीरे जवाब दूंगा …हाँ तो सब लोग बहुतै खुश हैं और क्यों नहीं होंगे भाई बढ़िया बढ़िया चेहरा देखने को मिलता है बतलाने को मिलता है और का …..नहीं मेरा मतलब इसके अलावा ….इसके अलावा !
हाँ इसके अलावा सबसे ज्यादा ख़ुशी और फायेदा साहित्यिकी लोगन के हुआ है मने
हमरा भतीजा भी नवा नवा साहित्यकार बन गया है अरे ऊ गांव की छुकरिया से इश्क लड़ाता रहा अब ऊ की तो शादी हुई गयी अब हमारे भतीजा ने पूरी प्रेम कहानी का ग्रंथ रचा है बड़ी तारीफ है भाई ऊ की और एक और फायदा है मारक देखो तुम कोई से बतलाओ नहीं तो बताएं ….अरे नहीं चाचा बताइये बताइये , बेटा दूसरा फायेदा ई है कि ई गांव के जित्ता निठल्ला आदमी है अब शांति से रहता है गांव में छेड़छाड़ बंद हो गयी
वो कैसे? चाचा …बेटा का है कि चालीस चालीस साल का आदमी अपनी प्रोफाइल बना लेता है दस बीस कविता कहानी चुराई लो हो गए लेखक दो चार फोटु साफ सुथरे नदी नाले के पास खिंचवा ली नहीं तो आज कल लोग पुरानी इस्मार्तों को बहुत पसंद करते हैं तो हमारे गाँव की जे पुरानी बाबड़ी इसी के पास फ़ोटो खीच के पोस्ट कर दी अब आने दो लाइक्स कमेंट और फिर बस बतलाओ औरतन से संभल संभल के कि बस सच न पकडे कोई और का !
मार्क ….लेकिन ये तो गलत बात है ।
चाचा ..अरे तुम पैसा कमाओ भैया ई भारत है गलत सही तुम्हारी समझ में न आवेगा।
और चचा आगे बढ़ गए और मार्क …… हिंदी शब्दकोश ढूंढने निकल पड़े ।
— अंशु प्रधान