बाल कविता : नव वसंत !
देखो माँ ये पतझड़ में क्यों सब मुरझाया लगता है
आता है जब नव बसंत मन कूह कूह तब करता है ।
खिल जाते वन उपवन नव पल्लव साथ सुमन सारे
तेरे प्यारे छोटू का भी मन मयूर नृत्य तब करता है ।
तेरे पैरों की पायल जब आँगन में छन छन करती है
देख तुझे बासंती रंग में तब मन दर्पण हँस पड़ता है ।
माँ मुझको बतलाओ तो तुम, वसंत कहाँ पर रहता है
मुझको जाड़ा गर्मी से भी प्यारा वसंत ये लगता है ।
देखो छोटू सारी ऋतुएं प्यारी हैं और सब उपयोगी
दुःख सुख हो पतझड़ वसंत जीवन यूँ हीचलता है ।
देख सभी ऋतुओं को तुम अपना धीरज मत खोओ
ये समय कभी भी नहीं रुकता ये तो चलता रहता है ।
…………….आओ बच्चों के मन की जाने
— अंशु प्रधान